नाशपाती (अंग्रेजी: Pear ; वानस्पतिक नाम :) एक फल है। नाशपाती भी सेब से जुड़ा एक उप-अम्लीय फल है, लेकिन इसमें शर्करा अधिक तथा अम्ल कम पाया जाता है। यह मूल रूप से उत्तरी अफ्रीका, पश्चिमी यूरोप का निवासी था और पूर्वी जंबुद्वीप तक इसका विस्तार हुआ करता था। यह एक मध्यम ऊंचाई का पेड़ होता है जो 10–17 मीटर (33–56 फीट) तक पहुंचता है, प्रायः ऊपर ऊंचा, संकरा किरीट आकार होता है। इसकी कुछ प्रजातियां झाड़ रूपी भी होती हैं, जिनकी ऊंचाई अधिक नहीं होती।
इसकी पत्तियां एक एक करके दायें बाएं व्यवस्थित होती हैं व सीधी 2–12 सेन्टीमीटर (0.79–4.72 इंच) लम्बी, कुछ प्रजातियों में चमकदार हरी, तो कुछ अन्य प्रजातियों में घने रजतवर्णी रोयें से ढंकी हरी होती हैं। इनका आकार चौड़ा ओवल से लेकर संकरा भालानुमा भी होता है। अधिकतर नाश्पाती की प्रजातियाँ पर्णपाती होती हैं, किन्तु दक्षिण-पूर्वी एशिया में एक-दो प्रजातियां सदाबहार भी पायी जाती हैं। अधिकतर ठंड सहने वाली कुछ सख्त होती हैं, जिनमें शीत ऋतु में शून्य के नीचे 25 °से. (77 °फ़ै) से शून्य के नीचे 40 °से. (100 °फ़ै) तापमान सहने की क्षमता होती है। जो सदाबहार प्रजातियाँ होती हैं, उनकी क्षमता मात्र शून्य के नीचे 15 °से. (59 °फ़ै) ही होती है।
नाशपाती में बहुत से विटामिन्स और खनिज होते हैं इसलिए इसको खाने से हमारे शरीर को विटामिन्स और आहारीय खनिजों की पूर्ति हो जाती है। नाशपाती में आहारीय रेशे की अच्छी मात्रा होती है, जोकि पाचन तन्त्र को मजबूत बनाता है। नाशपाती खाने से कब्ज ठीक हो जाती है|[2] [3]
नाशि पियर जैसी कई प्रजातियाँ नाश्पाती के आकार की नहीं होती हैं।
नाशपाती (अंग्रेजी: Pear ; वानस्पतिक नाम :) एक फल है। नाशपाती भी सेब से जुड़ा एक उप-अम्लीय फल है, लेकिन इसमें शर्करा अधिक तथा अम्ल कम पाया जाता है। यह मूल रूप से उत्तरी अफ्रीका, पश्चिमी यूरोप का निवासी था और पूर्वी जंबुद्वीप तक इसका विस्तार हुआ करता था। यह एक मध्यम ऊंचाई का पेड़ होता है जो 10–17 मीटर (33–56 फीट) तक पहुंचता है, प्रायः ऊपर ऊंचा, संकरा किरीट आकार होता है। इसकी कुछ प्रजातियां झाड़ रूपी भी होती हैं, जिनकी ऊंचाई अधिक नहीं होती।
इसकी पत्तियां एक एक करके दायें बाएं व्यवस्थित होती हैं व सीधी 2–12 सेन्टीमीटर (0.79–4.72 इंच) लम्बी, कुछ प्रजातियों में चमकदार हरी, तो कुछ अन्य प्रजातियों में घने रजतवर्णी रोयें से ढंकी हरी होती हैं। इनका आकार चौड़ा ओवल से लेकर संकरा भालानुमा भी होता है। अधिकतर नाश्पाती की प्रजातियाँ पर्णपाती होती हैं, किन्तु दक्षिण-पूर्वी एशिया में एक-दो प्रजातियां सदाबहार भी पायी जाती हैं। अधिकतर ठंड सहने वाली कुछ सख्त होती हैं, जिनमें शीत ऋतु में शून्य के नीचे 25 °से. (77 °फ़ै) से शून्य के नीचे 40 °से. (100 °फ़ै) तापमान सहने की क्षमता होती है। जो सदाबहार प्रजातियाँ होती हैं, उनकी क्षमता मात्र शून्य के नीचे 15 °से. (59 °फ़ै) ही होती है।