जामुन (वैज्ञानिक नाम : Syzygium cumini) एक सदाबहार वृक्ष है जिसके फल बैंगनी रंग के होते हैं (लगभग एक से दो सेमी. व्यास के) | यह वृक्ष भारत एवं दक्षिण एशिया के अन्य देशों एवं इण्डोनेशिया आदि में पाया जाता है।
इसे विभिन्न घरेलू नामों जैसे जामुन, राजमन, काला जामुन, जमाली, ब्लैकबेरी आदि के नाम से जाना जाता है। प्रकृति में यह अम्लीय और कसैला होता है और स्वाद में मीठा होता है। अम्लीय प्रकृति के कारण सामान्यत: इसे नमक के साथ खाया जता है।
जामुन का फल 70 प्रतिशत खाने योग्य होता है। इसमें ग्लूकोज और फ्रक्टोज दो मुख्य स्रोत होते हैं। फल में खनिजों की संख्या अधिक होती है। अन्य फलों की तुलना में यह कम कैलोरी प्रदान करता है। एक मध्यम आकार का जामुन 3-4 कैलोरी देता है। इस फल के बीज में काबोहाइट्ररेट, प्रोटीन और कैल्शियम की अधिकता होती है। यह लोहा का बड़ा स्रोत है। प्रति 100 ग्राम में एक से दो मिग्रा आयरन होता है। इसमें विटामिन बी, कैरोटिन, मैग्नीशियम और फाइबर होते हैं।
जामुन का प्रयोग कई सारी बिमारियों के उपचार मे किया जाता है। गर्मियों के दिनों मे जामुन के सेवन करने से लू नहीं लगती है। यह कैंसर की संभावना को कम करने मे भी काफी मददगार है।
जामुन खाने से शुगर के रोगी को फायदा होता है।यह रक्त के अंदर शक्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है। डायबिटिज के रोगी को रोजाना जामुन का सेवन करना चाहिए। रोज 100 ग्राम जामुन का सेवन करना चाहिए। जामुन की गुठली ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने मे काम आती है।
पेट से जुड़ी समस्या को दूर करने के लिए जामुन फायदे मंद है। रोज सुबह खाना खाने के बाद जामुन खाने से पेट साफ होता है। पेट के अंदर ऐंठन की समस्या दूर करने के लिए जामुन की छाल का काढा बनाकर पीने से दूर हो जाती है।
जामुन हमारे शरीर के अंदर खून की कमी को दूर करते हैं। जिस व्यक्ति के शरीर के अंदर खून की कमी हो उसे जामुन का सेवन करना चाहिए । जामुन के अंदर कैल्शियम, पोटैशियम और आयरन पाये जाते हैं। जो हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढाते हैं।
जामुन के पत्ते मसूड़ों के लिए फायदेमंद हैं। यदि मसूंडों के अंदर खून आता है तो जामून की गुंठली पीस कर नमक के साथ मसूडों पर लगाने से फायदा होता है। यदि मसूड़ों के अंदर सूजन आ रही है तो जामुन के पत्तों को उबाल कर कूल्ला करना चाहिए।
यदि मूंह के अंदर दूर्गंध आ रही है तो जामून के पत्ते चबाना चाहिए ।
यदि लिवर के अंदर किसी प्रकार की समस्या है तो सुबह शाम जामुन का रस पीना चाहिए जिससे लिवर की समस्या ठीक हो जाएगी ।
यदि किसी व्यक्ति को पत्थरी की समस्या है तो जामुन का पाउडर दही के साथ मिलाकर रोज खाने से पत्थरी की समस्या भी दूर हो जाती है।
जिस व्यक्ति को गठिया होता है। उसे जामुन की छाल को पीस कर जोड़ों पर लेप करने से फायदा होता है।
जामुन के बीजों का प्रयोग चेहरे के पिंपल्स को हटाने के लिए किया जाता है। बीजों को पीस कर दूध मिलाकर पेस्ट बनाकर सोने से पहले चेहरे पर लगाएं ऐसा कई दिनों तक करें जिससे चेहरा साफ होगा और चेहरे के दाग दब्बे दूर होंगे ।
आवाज को सूरीली बनाने मे भी जामुन मददगार होता है।जामुन का चूर्ण रोज चाटने से आवाज साफ और सूरीली बनती है।
जामुन छोटे बच्चों के लिए भी अच्छे रहते हैं
यदि बच्चों को दस्त की समस्या हो तो जामुन की ताजी छाल को पिस कर बकरी के दूध के साथ मिलाकर पीने से लाभ होता है। यदि बच्चे बिस्तर पर पेशाब करते हैं तो जामुन का चूर्ण खिलाने से लाभ होता है।
जामुन (वैज्ञानिक नाम : Syzygium cumini) एक सदाबहार वृक्ष है जिसके फल बैंगनी रंग के होते हैं (लगभग एक से दो सेमी. व्यास के) | यह वृक्ष भारत एवं दक्षिण एशिया के अन्य देशों एवं इण्डोनेशिया आदि में पाया जाता है।
इसे विभिन्न घरेलू नामों जैसे जामुन, राजमन, काला जामुन, जमाली, ब्लैकबेरी आदि के नाम से जाना जाता है। प्रकृति में यह अम्लीय और कसैला होता है और स्वाद में मीठा होता है। अम्लीय प्रकृति के कारण सामान्यत: इसे नमक के साथ खाया जता है।
जामुन का फल 70 प्रतिशत खाने योग्य होता है। इसमें ग्लूकोज और फ्रक्टोज दो मुख्य स्रोत होते हैं। फल में खनिजों की संख्या अधिक होती है। अन्य फलों की तुलना में यह कम कैलोरी प्रदान करता है। एक मध्यम आकार का जामुन 3-4 कैलोरी देता है। इस फल के बीज में काबोहाइट्ररेट, प्रोटीन और कैल्शियम की अधिकता होती है। यह लोहा का बड़ा स्रोत है। प्रति 100 ग्राम में एक से दो मिग्रा आयरन होता है। इसमें विटामिन बी, कैरोटिन, मैग्नीशियम और फाइबर होते हैं।