ठर्रा उत्तर भारत और पाकिस्तान में गन्ने या गेंहू से बनने वाली एक देसी शराब है जो अक्सर ग़ैर-क़ानूनी ढंग से बिना किसी पंजीकरण या अन्य प्रकार की सरकारी अनुमति के बनाई जाती है।[1] अनौपचारिक रूप से ठर्रे को 'कच्ची शराब' और 'कुत्ता मार' जैसे नामों से भी बुलाया जाता है और आम तौर पर इसकी गंध कषाय (अप्रिय) और स्वाद कड़वा या मुंह जलाने वाला होता है। तकनीकी रूप से गन्ने के रस से बनी शराब को रम कहा जाता है इसलिए ज़्यादातर ठर्रा भी एक प्रकार की रम ही होता है।[2]
क्योंकि यह शराब बिना सरकारी नियंत्रण के छुपकर बनाई जाती है इसलिए इसका सेवन करने वालों को इसकी स्वच्छता और शुद्धता का कोई ज्ञान नहीं होता। यदि इसमें शराब से मिलते-जुलते मेथानोल जैसे ज़हरीले द्रव मौजूद हों तो यह पीने वाले को अँधा कर सकती है या जानलेवा भी हो सकती है। कम ख़तरनाक अशुद्धियों से समय के साथ-साथ यह पीने वालों का यकृत (जिगर या लिवर) भी ख़राब कर सकती है।[1]
ठर्रा उत्तर भारत और पाकिस्तान में गन्ने या गेंहू से बनने वाली एक देसी शराब है जो अक्सर ग़ैर-क़ानूनी ढंग से बिना किसी पंजीकरण या अन्य प्रकार की सरकारी अनुमति के बनाई जाती है। अनौपचारिक रूप से ठर्रे को 'कच्ची शराब' और 'कुत्ता मार' जैसे नामों से भी बुलाया जाता है और आम तौर पर इसकी गंध कषाय (अप्रिय) और स्वाद कड़वा या मुंह जलाने वाला होता है। तकनीकी रूप से गन्ने के रस से बनी शराब को रम कहा जाता है इसलिए ज़्यादातर ठर्रा भी एक प्रकार की रम ही होता है।